Condemn Honour Killing, just coz there is no honour in Killing.

A couple of days back, I came across a news clipping regarding ‘honour killing’ and all the thoughts within my mind came to halt. I tried penning down a story of two lovers, who loved beyond the social barriers, but may not unite due to the artificial social barricades.

 रात बहुत है हो चली,
हम घूमे यादों की गली.
जब मैं और तुम बने थे हम,
खुशियाँ जो थी कभी ना कम.
ज़िंदगी की हर खुशी तुझसे ही थी,
तेरी हर आरज़ू की तमन्ना हमने की.
तेरी मुस्कुराहट की चाहत हर पल थी,
झुकी तेरी नज़र और दिल में हलचल थी.
तेरे होने से एक अजब सा एहसास था,
पर इस रिश्ते का नाम हर पल राज़ था.
 
आया जब वक़्त इस रिश्ते को नाम देने का,
तब इकरार से ना जाने यह दिल घबराया.
मुझे प्यार है तुमसे कहते कहते,
तुमने इस रिश्ते का नाम दोस्ती बताया.
पर जाने क्या मजबूरी रही होगी तुम्हारी,
फिर एक दिन तुमने इस दोस्ती को भी ठुकराया.
बेवफाई तुम्हारी ना होगी तुम्हारी मंज़ूरी से,
यही कहके फिर हमने अपने दिल को समझाया.
 
आज मिले जब फिर से उन्हीं राहों पे,
तो पढ़ ली हमने यह आँखें तुम्हारी.
मुझे आज भी प्यार है तुमसे,
कह गयी हमसे यह साँसें तुम्हारी.
 
इस इज़हार की खुशी तो थी दिल में,
पर एक सवाल ज़रूर मन में आया था..
तुम दूर गये थे मुझसे क्यूँ,
यह आज भी ना तुमने बताया था..
जब हम थे एक साथ, प्यार था तब भी,
फिर तब तुमने ना क्यूं प्यार जताया था..
जब मालूम था के ज़िंदगी कटेगी ना बिन तेरे,
फिर क्यूँ जान बूझके मुझे सताया था..
 
यह सुनके वो बस इतना ही कह पायी थी,
तेरी खातिर ही हमने यह ज़िंदगी ठुकराई थी.
तुमसे प्यार करना खिलाफ था समाज के उसूलों के,
तुझे इन्कार करके ही हमने अपनी वफ़ा निभाई थी.
 
यह सुनके हमने अपनी ज़िन्दगी को गले लगाया,
विश्वास हमारा ना टूटा, यह सूकून पाया.
एक वो वक़्त था और एक आज है,
इस प्यार के बीच क्यूँ आता समाज है..
इंसानों में क्यूँ छोटा बड़ा बनाया,
एक दूसरे के बीच क्यूँ फ़ासला बनाया.
चाहे दर्मियाँ हो जितनी मरज़ी दूरियाँ,
हमें दूर ना कर पायेंगी यह मजबूरियाँ.
नहीं भूलेंगे हम किये एक दूसरे से वादे,
मर कर भी ज़िंदा रहेंगे हम इश्क़ज़ादे.

I hope you like it. 🙂

7 thoughts on “Loving beyond Social Barriers!!”

  1. beautiful love story full of emotions….nd msg to society…true love is above fake social boundaries.Thank u simar…beautifull describe in poem…….KAVERI

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